लीज फाइनेंसिंग (Lease Financing) एक प्रकार की वित्तीय व्यवस्था है जिसमें कोई व्यक्ति या कंपनी (पट्टेदार या Lessee) किसी संपत्ति (जैसे मशीनरी, उपकरण, वाहन, भूमि या भवन) का उपयोग करने का अधिकार प्राप्त करता है, बिना उसे पूरी तरह खरीदे। इसके बदले में वह संपत्ति के मालिक या प्रदान करने वाली कंपनी (पट्टादाता या Lessor) को नियमित किस्तों (लीज रेंट) का भुगतान करता है। भारत में लीज़ फाइनेंसिंग की बढ़ती लोकप्रियता: क्यों बिज़नेस इसका दीवाना हो रहा है? भारत में वित्तीय प्रणाली पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बदल रही है। परंपरागत बैंक लोन की जगह अब लीज़ फाइनेंसिंग तेजी से लोकप्रिय होती जा रही है—चाहे वो MSMEs हों, स्टार्टअप्स हों या बड़े उद्यम। लीज़िंग आज सिर्फ एक विकल्प नहीं, बल्कि मॉडर्न कैपिटल मैनेजमेंट का स्मार्ट टूल बन चुकी है। इस लेख में हम समझेंगे— लीज़ फाइनेंसिंग क्या है? भारत में यह क्यों तेजी से बढ़ रही है? इसके प्रकार, फायदे, चुनौतियाँ, सरकारी पहल UPSC प्रासंगिक बिंदु बिज़नेस के लिए इसका उपयोग कैसे लाभकारी है अंत में FAQs चलिए, इसे आसान भाषा में समझते हैं। इंफोग्र...